12 comments on “‘ਲਲਕਾਰ’ ਬਾਰੇ

  1. AMAN THAPER says:

    REALLY GOOD MAGEZINE

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  2. AMAN THAPER says:

    ACTUALLY WE HAVE BEEN SITTING ON VOLCANO. EVEN TODAY WE CAN’T ASK QUESTION TO ANY GOVT AS IF IT IS LOCAL BODY GOVT.,STATE, OR CENTER … EVEN WE CAN NOT USE R.T.I.
    WE NEED MAKE A FRONT WHICH CAN ASK QUESTION TO ALL LEADER AS IF IT ‘S ON LOCAL LEVEL, DISTT LEVEL , STATE LEVEL, CENTER LEVEL .
    I AM READY TO MAKE IT . OR YOU
    VOTING IS GOING TO FALL SHORTLY IF THERE IS NOT CANDIDATE LIKED SHOULD VOTER HAS AUTHORITY TO CANCEL HIS VOTE.

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  3. Mandeep Kumar says:

    Hello ,

    :KIHO JIHA HAI LOKTANTAR TE BHARTI SAVIDHAAN KINA DI SEVA KARDA HAI ”

    Is it possible to get this entire series of this artical in a single document ,
    It has been published in Lalkar in a series ,

    Mandeep Kumar

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  4. Ajj de youngsters nu vadd to vadd ,,,,inpire karn lai ehh magezine bohat vadia ,,,,carry on ,,,we all are with u

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  5. manish says:

    eho ellan hai….han han eho hi hull hai gulami ton mukti da…..
    .lnqulab zindabad
    .samrajbad murdabad

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  6. amandeep says:

    main kadi v kise “inklaab muhim ” wich hisa nai lita par ajj ” lalkaar” nu dekh ke dil wich apne app lalkaar uth rahi hai. “INKLAAB ZINDABAD DI”
    EH IK BAHUT WADIYA SOCH HAI NOJAWANA NU SIDE RAAH PAUNDI
    IS LAYI “CARRY ON” (AMANDEEP SINGH BHANGU)

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  7. amandeep says:

    ਕਦੇ ਪਰਖੇ ਮੇਰਾ ਰੁਤਬਾ, ਕਦੇ ਇਹ ਜ਼ਾਤ ਪੁੱਛਦੀ ਹੈ __!!

    ਅਜਬ ਬਰਸਾਤ ਹੈ ਜੋ ਪਿਆਸ ਦੀ ਔਕਾਤ ਪੁੱਛਦੀ ਹੈ __

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  8. amandeep says:

    ये है गाँधी का असली चेहरा………..

    23 मार्च 1931 को शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फांसी के तख्ते पर ले जाने
    वाला पहला जिम्मेवार सोहनलाल वोहरा हिन्दू की गवाही थी ।
    यह…ी गवाह बाद में इंग्लैण्ड भाग गया और वहीं पर मरा । शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।” अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी ।
    इसी प्रकार एक ओर महान् क्रान्तिकारी जतिनदास को जो आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी । जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीताभिरमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक
    राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे। इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी । इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ? गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रहद्) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद चौ० ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल
    पाखण्डी लिखा है । इस आजादी के बारे में इतिहासकार सी. आर. मजूमदार लिखते हैं – “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना उसने सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी । इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन सभी क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून
    बहाया ।”
    जो मित्र सहमत हों वो कृपया लाइक और शेयर अवश्य करें और जो मित्र सहमत ना हो वो कृपया टिप्पणी करने का कष्ट ना करें । धन्यवाद ।
    जय हिन्द ।

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  9. anshu chopra says:

    main sujha dena hai ke u tube te apna channal jari keeta jave te naal hi interview jari keeti jave jis naal tuhade bare pata lage ki tuhadi jathebandi ki kam kar rahi hai

    mere sujha nu jaldi ton jaldi amal vich leianda

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  10. lal singh says:

    its great akhbaar ,punjabi vich es naalda dossra koi vigiyanik soch wala akhbaar nahi ha

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  11. sandeep rakkaran says:

    caste wale mamle te v v koi article pa deo

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